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चम्पारण में क्रांतिकारी आंदोलन, अंग्रेजों की क्रूरता और ‘फनिया वध’

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बेतिया: संस्कार भारती आयोजित ‘भोजपुरिया कला-हाट’ के समापन -सत्र में राज्यपाल (बिहार) ने डॉ दिवाकर राय द्वारा रचित भोजपुरी नाटक ‘फनिया वध’ का लोकार्पण किया। यह नाटक केवल एक नाटक मात्र नहीं है, अपितु चम्पारण के क्रांतिकारी आंदोलन को ध्वस्त करने वाले अंग्रेजों की क्रूरता का एक जीवंत दस्तावेज है। इस नाटक के नाटककार डॉ दिवाकर राय ने बताया कि इस नाटक में चम्पारण में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियों और क्रांतिकारियों के कठिन संघर्ष का चित्रण किया है। यह नाटक स्वतंत्रता आंदोलन के एक ऐतिहासिकता प्रदर्शित करता है। प्रसंग क्रांतिकारी फणीन्द्रनाथ घोष की क्रांतिकारियों द्वारा हत्या पर आधारित है।
फणीन्द्रनाथ घोष एक क्रांतिकारी रहे, किंतु हथियार खरीदने के क्रम में कोलकाता में गिरफ्तारी और अंग्रेजों की प्रताड़ना से सबकुछ उगल कर अंग्रेजों का गवाह बन गया। उसकी गवाही के कारण ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर चढ़ाया गया। उसकी गवाही के कारण ही केदार मणि शुक्ल और कमलनाथ तिवारी को काला पानी की सजा हुई। उसकी गवाही के कारण ही योगेन्द्र शुक्ल, कपिलदेव राय, गुलाब चन्द्र गुप्त ‘गुलाली’, मनमोहन बनर्जी जैसे क्रांतिकारियों को कारावास की सजा भुगतनी पड़ी। इसी कारण योगेन्द्र शुक्ल के भतीजे वैशाली निवासी बैकुंठ शुक्ल और आरा के क्रांतिकारी चन्द्रमा सिंह ने फणीन्द्रनाथ घोष को 9 नवंबर,1932 को दिन में उसके जूते-चप्पल की दूकान में खुकरी से मारकर उसकी हत्या कर दिया। इसमें केदारमणि शुक्ल के भाई उद्धेश्वर मणि शुक्ल की भी बड़ी भूमिका रही।इसी के साथ चम्पारण के एक कलंक को धो दिया गया था। यह नाटक ‘फनिया वध’ इसी पृष्ठभूमि पर आधारित है।
इस नाटक के प्रमुख पात्रों में केदारमणि शुक्ल, मनमोहन बनर्जी, फणीन्द्रनाथ घोष, कपिलदेव राय, कमलनाथ तिवारी, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद आदि प्रमुख हैं। इस नाटक में चम्पारण के क्रांतिकारी आंदोलन को समझने के लिए भूमिका के रूप में एक लम्बा आलेख है, जिसमें चंपारण के स्वतंत्रता आंदोलन के संघर्ष को रेखांकित किया गया है। ज्ञातव्य हो कि डॉ दिवाकर राय की इससे पहले छह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। राज्यपाल द्वारा ‘फनिया वध’ के लोकार्पण से साहित्यिक समाज में प्रसन्नता है। इसके लिए नाटककार को प्रत्यक्ष तथा सोसल मीडिया भी पर लगातार बधाइयाँ मिल रही हैं। बधाई देने वालों में पं चतुर्भुज मिश्र, साकेत बिहारी शर्मा ‘मन्त्रमुदित’, अरुण गोपाल, डॉ विनय कुमार सिंह, सुरेश गुप्त, डॉ जगमोहन कुमार, डॉ सुरेन्द्र प्रसाद केशरी, अंजनी कुमार सिन्हा, रवीन्द्र किशोर राय, प्रशांत सौरभ, चन्द्रिका राम, डॉ शिप्रा मिश्रा, जयकिशोर जय, जलज कुमार मिश्र प्रमुख हैं।

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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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