धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि : डॉ. आशुतोष उपाध्याय

प्रमुख, भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना – 800014 में बिरसा मुंडा जयंती मनाई गई। उल्लेखनीय है कि झारखंड के आदिवासी बिरसा मुंडा को भगवान की श्रेणी में रखते हैं। उनका जन्म 15नवम्बर 1875 ई. में उलिहातू गाँव झारखंड में का आदिवासी समाज, माँ कर्मी हातू व पिता सगुना मुंडा के घर में हुआ। उन्होंने शिक्षा ग्रहण करने के लिए ईसाई धर्म अपनाया और जर्मन मिशन स्कूल में पढ़ने गए। जर्मन मिशन स्कूल में पढ़ने के लिए ईसाई धर्म अपनाना आवश्यक शर्त रहा। वैदिक सनातन धर्म की आस्था के दृष्टिगत बिरसा मुंडा ने अध्ययन के क्रम में स्कूल और पढ़ाई बीच में छोड़ दिया। क्योंकि स्वधर्म में पूरी आस्था रही। पारंपरिक धर्म में लोगों को एकजुट कर, संस्कृति पर बल दिया और
सामाजिक व आर्थिक शोषण को समझते हुए, अंग्रेजों के विरुद्ध पूर्ण संघर्ष, साहस, बहादुरी, दृढ़निश्चय व दूरदर्शिता से किया। उन्होंने प्रत्येक संघर्ष को जी जान से किया। जमींदारी प्रथा खत्म करने और शोषण, अंग्रेजों के विरुद्ध आवाज उठाया, आदिवासी संस्कृति और पहचान बचाने के लिए, संघर्ष किया आजीवन
‘अबुआ राज सेतारजना, महारानी राज टुंडुजना’ नारा से, उभरा आंदोलन ‘उलगुलान’ आंदोलन ने आदिवासियों को सांस्कृतिक पहचान दिलाया
आर्थिक शोषण का विरोध, अधिकारों की रक्षा और सामाजिक सम्मान के दृष्टिगत 25 वर्ष से भी कम आयु में, बिरसा मुंडा को अंग्रेजों की जेल में निधन हो गया। संघर्षपूर्ण व क्रांतिकारी नेता, हो गए अमर कर आदिवासी मार्गदर्शन। आदिवासी समाज के विकास हेतु दिया उन्होंने, अपने प्राणों का बलिदान
स्वतंत्रता न्याय पहचान व सम्मान दिला, बने धरती आबा और भगवान ने एकजुट किया आदिवासियों को और नेतृत्व दे, गढ़े उन्होंने कई प्रतिमान, जन्मदिन को ‘जन जातीय गौरव दिवस’ कह, कृतज्ञ राष्ट्र सम्मान देता है।
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