Mon. Oct 13th, 2025

भौतिक जगत में बीज और झाड़ की यात्रा आपस में एक दूसरे से विपरीत दिशा में जाएगी क्योकि पेड की वृद्वि ऊपर की ओर होती हैं और बीज जमीन में नीचे गहरा गहरा चलता जाता है। अगर हम बीज की तरफ जाएंगे तो झाड़ से दूर हो जाएंगे और झाड़ यानि विस्तार की तरफ जाएगे तो बीज से दूर हो जाएंगे। अब यही बात जगत के बीज परमात्मा पिता और जगत रुपी रचना जो कि एक झाड के रुप में है उसके ऊपर लागू होती है। अगर आप सृष्टि रुपी झाड के विस्तार में चले जाते हो तो बीज से दूर हो जाते हो अगर आप बीज रुप परमात्मा की तरफ जाते हो अपना मन उनमें लगाते हो तो इस सृष्टि रुपी झाड से आपका मन उपराम हो जाता है। इसलिए परमात्मा पिता कहते है। समेटने की शक्ति को धारण करो। तब आप बीजरुप स्थिति में टिक जाएंगे दोनो काम एक साथ नही हो सकते।

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