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देश व किसान हितैषी नीति के विरुद्ध है नीति आयोग क का सुझाव : भारतीय किसान संघ

सरकार की स्वावलंबन नीति के आधार पर आगे बढ़े नीति आयोग और किसान हितैषी विषय को प्राथमिकता दे:भारतीय किसान संघ

apnibaat.org

नई दिल्ली : नीति आयोग ने भारत और अमेरिका के बीच कृषि व्यापार बढ़ाने की दृष्टि से एक वर्किंग पेपर जारी कर कुछ सिफारिशे की हैं। नीति आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि प्रस्तावित भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत भारत को चावल, काली मिर्च, सोयाबीन तेल, झींगा, चाय, कॉफी, डेयरी उत्पाद, पोल्ट्री, सेब, बादाम, पिस्ता, मक्का और आनुवंशिक रूप से परिवर्तित (GM) सोया उत्पादों के लिए अपना बाजार खोल देना चाहिए। जिसको लेकर देश के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान संघ को आशंका है कि ऐसा करना कृषि पर निर्भर 70 करोड़ भारतीयों के लिए जोखिम भरा कदम साबित हो सकता है। किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अमेरिका के साथ टेरिफ लड़ाई में नीति आयोग क्यो घुटने टेक रहा है। जब सरकार देश को तिलहन में स्वावलंबी बनाने की तैयारी में हैं, तब खाद्य तेल के आयात शुल्क में कमी करना अपने आप में एक विरोधाभासी निर्णय है। श्री मिश्र ने देश व किसान हितैशी नीति के खिलाफ नीति आयोग के सुझावों पर ऐतराज जताते हुये कहा कि नीति आयोग के सलाहकार अपनी सिफारिशों पर पुनर्विचार करते हुए सरकार की स्वावलंबन नीति के आधार पर आगे बढ़ने की तैयारी करें और किसान हितैशी विषयों को प्राथमिकता दें।

नॉन जी.एम. सोर्स एवं नॉन जी.एम. सर्टिफिकेट जरूरी तो जी.एम. के आयात के पक्ष में नीति आयोग क्यों…?

मोहिनी मोहन मिश्र ने सवाल खड़े़ करते हुये कहा कि जी.एम. (सोया व मक्का) के आयात के पक्ष में सुझाव देनें का तर्क समझ से परे है। सर्वविदित है कि अमेरिका में जी.एम. सोया एवं मक्का दोनों को पशु खाद्य के रूप में उपयोग कर, कुछ मात्रा में इससे ईथेनॉल बनाया जाता है। ऐसे में इस उपज को भारत में आयात करने का सुझाव क्यों दिया है? श्री मिश्र ने आगे कहा कि देश में जब खाद्य संबंधी आयातित सामग्री के साथ नॉन जी.एम. सोर्स एवं नॉन जी.एम. सर्टिफिकेट जरूरी है, तब नीति आयोग के ये सुझाव कई गंभीर प्रश्न खड़े करते है।

देश का मक्का व गन्ना छोड़ अमेरिकी जी.एम मक्का आयात करने की सिफारिश क्यों ….?

सरकार ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य लेकर नीति बनाई और रिपोर्ट के अनुसार हम 18.5 प्रतिशत इथेनॉल मिला चुके हैं। ऐसे में देश के किसानों से पैदा मक्का व गन्ना छोड़कर अमेरिकी जीएम मक्का को आयात करने का सुझाव किसान हितों के विरुद्ध (टकराव) है। नीति आयोग के ऐसे अनीतिपूर्ण सुझावों में अविलंब सुधार की आवश्यकता है।

अमेरिकी दबाव में नीति आयोग का झुकना भारत और भारतीय किसानों के हित में नहीं

महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि यदि नीति आयोग अमेरिकी टेरिफ वार में अपने को अक्षम मानता है तो उन्हें भारत के किसानों से सहायता मांगना चाहिए। भारत के छोटे-छोटे मेहनतकश किसान हिम्मत के साथ इन समस्याओं को सुलझाने का सामर्थ्य रखते है, जबकि बगैर जी.एम. के अभी तक हम सभी फसलों का आवश्यकता से अधिक उत्पादन कर चुके हैं। दलहन-तिलहन में सरकार की नीति साथ दें तो भारत को स्वावलंबी बनाने के लिए देश का किसान तैयार है। ऐसी स्थिति में किसी के दबाव में नीति आयोग का झुकना भारत व भारतीय किसान के हित में नहीं है। यदि नीति आयोग को देश व किसानों के सामर्थ्य पर विश्वास नहीं है तो सरकार को नीति आयोग की कार्य प्रणाली पर गंभीर विचार विमर्श की आवश्यकता है।

कृषि निर्यात नीति को आगे बढ़ाये नीति आयोग

भारतीय किसान संघ के महामंत्री ने बताया कि जब वर्ष 2018 में वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत देश में पहली बार एक कृषि निर्यांत नीति बनने के क्रम में भारत के अखिल विश्व स्थित भारत के दूतावास में एक सुरक्षित टेबल स्थापित कर, सिर्फ कृषि व्यापार बाजार की इंण्टेलीजेंस सम्बंधित जानकारी एकत्र कर भारत से निर्यात की व्यवस्था बनाये जाने पर बल दिया गया, किंतु इस दिशा में नीति आयोग आगे कदम क्यों नहीं बढ़ा बढ़ रहा है?

उपर्युक्त विचार राजीव दीक्षितप्रचार प्रमुख भारतीय किसान संघ राजस्थान ने मीडिया को दी।

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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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