विकसित कृषि संकल्प अभियान समाप्त, पर किसानों से संवाद रहेगा अनवरत
पटना: ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के 15वें एवं अंतिम दिन गुजरात के बारडोली में किसान सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह अभियान समाप्त होने के बाद भी किसानों से संवाद जारी रहेगा। अभियान के तहत 55,000 से अधिक कार्यक्रमों के माध्यम से 1 लाख से ज्यादा गांवों में करीब 1.12 करोड़ किसानों से संपर्क किया गया।
श्री चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लैब टू लैंड’ विजन को आगे बढ़ाने के लिए 2,170 वैज्ञानिक टीम ने गांवों में जाकर किसानों को शोध आधारित जानकारी दिया। उर्वरक, कीटनाशक, जलवायु आधारित सलाह एवं उन्नत बीजों की जानकारी दी गई और किसानों की समस्याओं के आधार पर शोध की दिशा तय की गई। उन्होंने कहा कि ‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’ की भावना से यह प्रयास जारी रहेगा। इधर बिहार में समापन कार्यक्रम का आयोजन दरभंगा मेडिकल कॉलेज में हुआ, जिसमें विजय कुमार सिन्हा उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री बिहार सरकार, हरी सहनी मंत्री पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग बिहार सरकार, डॉ. विनय कुमार चौधरी विधायक बेनीपुर विधानसभा तथा राम चंद्र प्रसाद विधायक हयाघाट विधानसभा उपस्थित रहे। धनंजय पति त्रिपाठी निदेशक बामेती, डॉ. डी. वी. सिंह प्रधान वैज्ञानिक अटारी पटना, डॉ. मयंक राय निदेशक (प्रसार) राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा भी कार्यक्रम में शामिल रहे। ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के बिहार एवं झारखंड के नोडल पदाधिकारी एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर पटना के निदेशक डॉ. अनुप दास अपने बहुविषयक टीम डॉ. कमल शर्मा, संजीव कुमार, डॉ. उज्ज्वल कुमार, डॉ. पंकज कुमार, डॉ. अभिषेक कुमार, डॉ. आरती कुमारी अन्य तकनीकी कर्मचारी के साथ प्रखंड कृषि कार्यलय नौबतपुर में किसानों से संवाद किया। डॉ. दास ने बताया कि अधिक आय के लिए सामूहिक प्रयास और वैज्ञानिक ज्ञान पर आधारित कृषि की आवश्यकता है। उन्नत तकनीक को अपनाने और अद्यतन जानकारी प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक संस्थाओं, कृषि विज्ञान केंद्र और लाइन विभाग के साथ निरंतर संपर्क आवश्यक है। किसानों ने फसल उत्पादन में मनरेगा के मजदूरों के उपयोग के लिए नीति बनाने का सुझाव दिया। अधिकांश किसानों ने समय पर उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता की मांग की। बिहार एवं झारखंड में अभियान की सफलता कार्यरत में कृषि विज्ञान केन्द्रों, राज्य एवं केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसंधान संस्थानों एवं केंद्रों तथा राज्य सरकारों के कृषि विभाग की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही। इन सभी संस्थानों ने समन्वित प्रयासों के माध्यम से किसानों तक आधुनिक एवं व्यवहारिक कृषि तकनीकों को पहुँचाने और जनजागरूकता बढ़ाने में विशेष योगदान दिया। इनकी सक्रिय सहभागिता ने अभियान को निचले स्तर तक प्रभावी ढंग से पहुँचाने में सहायक भूमिका निभाई। इस अभियान के माध्यम से किसानों को पारंपरिक ज्ञान के साथ आधुनिक तकनीकों का समन्वय करने की प्रेरणा मिली है, जिससे कृषि को न केवल अधिक लाभकारी बल्कि पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ भी बनाया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि बिहार एवं झारखंड में संचालित इस अभियान के विभिन्न कार्यक्रमों का समन्वय अटारी, जोन-IV, पटना एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा किया जा रहा है, जिसमें सभी सहयोगी संस्थान सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। राज्य सरकार का कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालय, इफको, आत्मा एवं अन्य संबंधित विभाग के लोग आ रहे है। ग्रामीण स्तर पर स्थानीय प्रतिनिधि भी इस कार्यक्रम में सहयोग कर रहे हैं।