‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से सीधी बात, खेतों में पहुंचकर दिया आधुनिक खेती के मंत्र
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पटना: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के तत्वावधान में संचालित ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के सातवें दिन बिहार एवं झारखंड में यह अभियान पूरे उत्साह, ऊर्जा एवं प्रतिबद्धता के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। अभियान की गतिविधियों में बड़ी संख्या में कृषकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया तथा उन्नत कृषि तकनीकों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त कीं। इस अवसर पर वैज्ञानिकों एवं कृषि विशेषज्ञों की टीम ने किसानों को अनेक विषयों पर व्यावहारिक एवं तकनीकी वार्तालाप किए, जिसमें जलवायु अनुकूल खेती प्रणाली, उन्नत प्रभेदों का चयन, प्राकृतिक एवं जैविक खेती, मृदा स्वास्थ्य परीक्षण एवं सुधार, ड्रोन आधारित कीटनाशक एवं पोषक तत्वों का छिड़काव, फसल स्वास्थ्य निगरानी, फसल विविधीकरण, सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली, फसल बीमा, एफपीओ गठन, विपणन रणनीतियाँ, तथा कृषि यंत्रीकरण आदि शामिल थे। इन विषयों पर केंद्रित संवादों में किसानों की सहभागिता अत्यंत सक्रिय एवं प्रभावशाली रही।
कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), पटना के निदेशक डॉ. अंजनी कुमार ने सुपौल जिले के चाँदीपुर ग्राम का दौरा किया एवं वहां किसानों के साथ प्रत्यक्ष संवाद किया। उन्होंने स्थानीय कृषकों से जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, फसल चयन, और टिकाऊ खेती के संदर्भ में विस्तार से चर्चा की तथा उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खेती को लाभकारी बनाने के उपाय बताया। इसी क्रम में अटारी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मोनोब्रुल्लाह एवं डॉ. डी. वी. सिंह ने भी जहानाबाद के कल्पा गाँव का भ्रमण कर किसानों से उनकी जमीनी समस्याओं के संबंध में संवाद किया। उन्होंने सिंचाई जल की कमी, उर्वरकों की असमय आपूर्ति, गुणवत्तायुक्त बीजों की अनुपलब्धता, आदि चुनौतियों पर गहराई से चर्चा की और समाधान हेतु मार्गदर्शन प्रदान किया। अभियान की सफलता में बिहार एवं झारखंड में कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्रों, राज्य एवं केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसंधान संस्थानों एवं केंद्रों तथा राज्य सरकारों के कृषि विभाग की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही। इन सभी संस्थानों ने समन्वित प्रयासों के माध्यम से किसानों तक आधुनिक एवं व्यवहारिक कृषि तकनीकों को पहुँचाने, प्रशिक्षण शिविरों के आयोजन, विषय-विशेषज्ञों की तैनाती, तथा ग्रामीण स्तर पर जनजागरूकता बढ़ाने में विशेष योगदान दिया। इनकी सक्रिय सहभागिता ने अभियान को निचले स्तर तक प्रभावी ढंग से पहुँचाने में सहायक भूमिका निभाई। इस अभियान के माध्यम से किसानों को पारंपरिक ज्ञान के साथ आधुनिक तकनीकों का समन्वय करने की प्रेरणा मिली है, जिससे कृषि को न केवल अधिक लाभकारी बल्कि पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ भी बनाया जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि बिहार एवं झारखंड में संचालित इस अभियान के विभिन्न कार्यक्रमों का समन्वय अटारी, जोन-IV, पटना एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा किया जा रहा है, जिसमें सभी सहयोगी संस्थान सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। राज्य सरकार का कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालय, इफको, आत्मा एवं अन्य संबंधित विभाग के लोग आ रहे हैं| ग्रामीण स्तर पर स्थानीय प्रतिनिधि भी इस कार्यक्रम में सहयोग कर रहे हैं।