नई तकनीकों से रूबरू हो रहे हैं किसान, बढ़ रही है कृषि नवाचारों के प्रति जागरूकता
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पटना: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली संचालित ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के चौथे दिन बिहार एवं झारखंड में उत्साह और उर्जा पूर्वक निरंतरता बनाए हुए है। उपर्युक्त अभियान किसानों के लिए न केवल जानकारी का स्रोत बना है, बल्कि वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने वाला एक प्रेरक मंच भी सिद्ध हो रहा है। किसान अब अपनी पारंपरिक खेती में वैज्ञानिक उपायों को शामिल करने लगे हैं और शामिल करने के प्रति सचेत भी हो रहे हैं। रविवार को बिहार और झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक रूप से एक जागरूकता अभियान संचालित किया गया। जिसके अंतर्गत वैज्ञानिकों एवं कृषि विशेषज्ञों की टीम ने किसानों से सीधा संवाद स्थापित किया और उन्हें खेत की मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार उर्वरक प्रबंधन, जैविक खेती की तकनीकें, वर्षा आधारित कृषि के प्रभावी उपाय तथा कृषि यंत्रों के दक्षतापूर्वक उपयोग सम्बंधी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान किया। उपर्युक्त अभियान के चौथे दिन भी किसानों में उत्साह और जागृति दिखी उन्होंने ने बढ़-चढ़कर सहभागिता प्रदर्शित किया। किसानों को विशेष रूप से कृषि यांत्रीकरण से उत्पादन लागत में कमी की विधि, कृषक उत्पादक संगठन, मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग के माध्यम से सामूहिक विपणन और मूल्य संवर्धन क्षेत्र की विस्तृत जानकारी दी गई। किसानों ने वार्ता के क्रम में बताया गया कि फसल की कटाई के बाद विभिन्न कृषि यंत्रों की आवश्यकता होती है, किंतु उन मशीनों का मूल्य अत्यधिक होने के कारण उन्हें कठिनाई होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से उन मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए, जिससे सभी किसान उसका लाभ उठा सकें।
इसके अतिरिक्त किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय बागवानी मिशन, एवं परंपरागत कृषि विकास योजना की विस्तृत जानकारी भी दी गई। उपर्युक्त अभियान अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों की मॉनिटरिंग अटारी, पटना एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना कर रहे हैं।