कृषि अनुसंधान परिसर पटना में उल्लासपूर्वक चौथा राष्ट्रीय लाख कीट दिवस मनाया गया
छात्रों में दिखा वैज्ञानिक जागरूकता और सतत आजीविका के प्रति उत्साह
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पटना: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में दिनांक 16 मई, 2024 को चौथा राष्ट्रीय लाख कीट दिवस उत्साह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर लाख कीट के संरक्षण, उसके पारिस्थितिकीय महत्व और ग्रामीण समुदायों के लिए इसके आर्थिक योगदान को उजागर करने पर कृषि वैज्ञानिक केंद्रित रहे। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान, रांची प्रायोजित लाख कीट जैव-संसाधन संरक्षण नेटवर्क परियोजना के अंतर्गत किया गया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने लाख कीट पालन को एक प्रभावी आय स्रोत बताते हुए कहा कि, “लाख कीट न केवल जैविक उत्पाद का स्रोत हैं, बल्कि यह ग्रामीण किसानों के जीवन स्तर को उत्कृष्ट बनाने में सहायक हैं। इसके संरक्षण से न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनता है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्तता भी मिलती है।” डॉ. अभिषेक कुमार, वैज्ञानिक एवं परियोजना के प्रधान अन्वेषक, ने कृषि विज्ञान के विद्यार्थियों को लाख (लाह) कीटों के संरक्षण, जैव विविधता और सतत उपयोग पर एक प्रभावशाली व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि लाख (लाह)कीटों से प्राप्त प्राकृतिक रेज़िन का उपयोग औषधि, सौंदर्य प्रसाधन, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कई क्षेत्र में किया जाता है। लाख (लाह) कीट पालन विशिष्ट वृक्षों पर करना पारंपरिक विधा है, जो ग्रामीणों की आजीविका और उद्योगों को प्राकृतिक रेज़िन प्रदान कर पारिस्थितिकीय सेवाएँ भी देती है। डॉ. शिवानी, प्रधान वैज्ञानिक, ने लाख कीटों के संरक्षण को पर्यावरणीय स्थिरता से जोड़ते हुए कहा कि यह प्रकृति और मानव जीवन दोनों के लिए लाभकारी है। डॉ. वेद प्रकाश, वैज्ञानिक, ने लाख कीटों से जुड़ी सामाजिक-आर्थिक संभावनाओं पर प्रकाश डालते साथ लाख उद्योग के बारे में बताया।
कार्यक्रम के समन्वय में उमेश कुमार मिश्र, हिंदी अनुवादक की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यक्रम का समापन एक संवाद-सत्र के साथ हुआ, जिसमें छात्रों और वैज्ञानिकों के बीच व्यावहारिक अनुभवों और नवाचारों पर संवाद किया गया। विद्यार्थियों ने कार्यक्रम को अति उपयोगी और प्रेरणादायक बताया तथा संकल्प लिया कि वे लाख (लाह) कीट संरक्षण और सतत विकास की इस पहल को अपने समुदायों तक पहुंचाएंगे। इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पटना हब के 40 कृषि स्नातकीय विद्यार्थियों ने सक्रिय सहभागिता की। छात्रों में लाख पालन और इससे जुड़ी वैज्ञानिक जानकारी को लेकर उत्साह देखने को मिला। यह आयोजन न केवल विद्यार्थियों के लिए एक ज्ञानवर्धक अनुभव बना, बल्कि लाख कीटों के संरक्षण और इसके माध्यम से आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत की कल्पना को भी सशक्त आधार प्रदान किया।