भावनात्मक रुप से शक्तिशाली बनने का अर्थ क्या है? कई बार कहा जाता हैं कि भावनाओ में मत बहो, यह वाक्य ऐसे लगता कि जैसे सामने से कोई बाढ़ आ रही हो और हमउ समे बहे जा रहे हो। हमने कोई दृश्य देखा कोई घटना घटी या किसी व्यक्ति से कोई बात सुनी तो सुनाने वाले की जैसी स्थिति थी जैसा वातावरण या माहौल था हमारा मन भी उसी बहाव में बह गया, उन जैसा बन गया, इसको कहते है। भावनाओ में बहना। इसका यही अर्थ निकलता हैं कि हमारा अपने मन पर नियंत्रण नही है। जैसी परिस्थिति होती है। मन वैसा ही रुप धारण कर लेता है। दुख की बात आई तो दुखी हो जाता है। हँसने की बात आई तो हँसने लगता है। रोने की बात आई तो रोने लगता है। चंचल अस्थिर मन को शक्तिशाली तो नही कहेगे कमजोर ही कहेगे किसी भी बात या स्थिति को देखकर डांवाडोल हो जाना कमजोरी ही तो है।