विगत 20 वर्ष से एनडीए का शासन, नहीं रुका बिहार से रोजगार पलायन
संकट, कष्ट और अधिभार देकर भागने के लिए विवश बिहारी युवा
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पटना: बिहार की सरकार ने खूब विकास किया, सड़क बनाया, पुल बनाया, स्वरोजगार दिया, नौकरी दिया तो आखिर किसको दिया। किसका विकास हुआ, कैसा विकास हुआ, किस प्रकार का अपराध रुका, किस प्रकार के अपराध बढ़े, जनता की सुनता है कौन, सरकार भी है मौन, पदाधिकारी वही दिखाते हैं जो सरकार देखना चाहती है। पदाधिकारियों के विरुद्ध कोई सुनना तक नहीं चाहता यहां तक कि मुख्यमंत्री भी ऐसे भड़कते हैं, मानो लाल कपड़ा देख सांढ़। इसी कारण बिहार के युवा अन्य प्रदेश में पलायन कर रहे हैं। अखिर बिहारी युवा गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, लद्दाख, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, असम, बंगाल अरुणाचल प्रदेश सहित देश के अन्य भागों में पलायन करने को विवश हैं। रोजगार के अवसर का आभाव, पलायन रोक पाने में विफल सरकार, रोजगार गारंटी योजना टांय टांय फ़िस्स साबित हो रही है, किंतु सरकार को कोई फ़र्क नहीं पड़ता, लोकतंत्र को नेतागण चुना लगा रहे हैं, तो जनता की चिंता क्यों, बिहार में पॉलीथिन, शराब, गुटखा व अन्य प्रतिबंधित वस्तुएँ सर्वसुलभ हैं, मानो माफियाओं की पकड़ सरकार पर है। बिहार में बिचौलिए हावी हैं, जनता पस्त और माफिया मस्त हैं। भारतीय गणराज्य के अन्य प्रदेश में बिहार के लोग भारी संख्या में पलायन कर रहे हैं। रेलवे के सभी शयनयान में भेड़ बकरियों की भांति आरक्षित, दण्ड अधिभार का भुगतान कर, कष्टकर यात्रा कर अन्य यात्रियों की यात्रा भी कष्टकर बना रहे हैं। इस तरह से यात्रा करने के लिए मजबूर है। शौचालय से लेकर रेलवे के सभी डब्बों तिल रखने की जगह भी नहीं रहती है। यह आलम पटना से एर्नाकुलम जा रही रेल की है, दर्द असहनीय परन्तु सुखदायक महसूस होता है। उसमें 15 रुपये की बोतल 20 रुपए में आईआरसीटीसी उपलब्ध करा रहा है। एक यात्री ने शिकायत किया तो सभी मान मनौवल में लग गए।