Tue. Oct 28th, 2025

भगवान जगाये संगम पर, हम सोते नही रह जाये।
वह ज्ञान लुटाये भर भर, हम सोते नही रहे जाये।
हम है अजर अमर  अविनाशी, ज्योतिर्मय आत्माये न्यारी।
माटी की हैं देह विनाशी, तन सेवक, हम हैं अधिकारी।
वैतरणी के मध्य लगाकर हम गोते नही रह जाये।
भगवान जगाये संगम पर, हम सोते नही रह जाये।
हम तन मन धन संकल्प समय, सम्बन्ध सभी उस पर वारे।
उस ज्योति स्वरुप विधाता को ज्ञान नयन से निहारें।
जब महल मिले तंडुल देकर, हम रोते नही रह जाये।
भगवान जगाये संगम पर, हम सोते नही रह जाये।

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