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गोदावरी देवी रामचंद्र प्रसाद सरस्वती विद्यामंदिर ने भारतीय नव वर्ष विक्रम सम्वत के वर्ष 2082 के शुभागमन पर भव्य संचलन और झाँकी प्रस्तुत किया
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बेतिया :विक्रम संवत भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है और वैदिक धर्म के पर्व एवं शुभ अशुभ कार्य की तिथियों का निर्धारण इसपर आधारित होता है। विक्रम संवत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है। विक्रम संवत में वर्ष का शुभारम्भ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष से होता है। विक्रम संवत ही हमारा भारतीय संवत कहलाता है जो शुद्ध और वैज्ञानिक है। अधिकांश भारतीय विक्रम सम्वत को अपना कैलेण्डर मानते हैं और उसी के अनुरुप सभी कार्य सम्पादित करते हैं, इतना ही नहीं पडोसी राष्ट्र नेपाल भी विक्रम सम्वत को राष्ट्रीय कैलेण्डर मानता है और उसी के अनुरुप सभी कार्य सम्पादित करता है। कई प्राचीन और मध्यकालीन शिलालेखों में विक्रम संवत का उपयोग किया गया है। बताया जाता है कि महाराजा विक्रमादित्य के नामपर इसे प्रारंभ किया गया “विक्रम संवत” शब्द 9वीं शताब्दी से पहले के ऐतिहासिक अभिलेखों में कहीं नहीं है; यही कैलेंडर प्रणाली अन्य नामों जैसे कि कृता और मालव के साथ पाई जाती है। औपनिवेशिक विद्वानों में, यह माना कि यह संवत राजा विक्रमादित्य के शकों को उज्जैन से खदेड़ने के स्मरणोत्सव पर आधारित रहा है, हालाकि, बाद के अभिलेखीय साक्ष्य और विद्वता से ज्ञात होता है कि इस सिद्धांत का कोई ऐतिहासिक आधार नहीं है। 9 वीं शताब्दी के क्रम में, अभिलेखीय कलाकृति ने विक्रम संवत का उपयोग करना प्रारम्भ किया गया (यह सुझाव देते हुए कि उपयोग में आने वाला हिंदू कैलेंडर युग विक्रम संवत के रुप में लोकप्रिय हो गया); बौद्ध और जैन अभिलेखों ने बुद्ध या महावीर पर आधारित युग का उपयोग करना जारी रखा। विक्रम संवत का उपयोग हिंदुओं , सिखों, और पश्तूनों द्वारा किया जाता रहा है। भारतीय उपमहाद्वीप पर उपयोग में आने वाले कई क्षेत्रीय हिंदू कैलेंडर में एक, यह बारह संक्रांति चंद्र महीनों और 365 सौर दिनों पर आधारित है। चंद्र वर्ष चैत्र महीने की अमावस्या से प्रारम्भ होता है। यह दिन, जिसे चैत्र सुखलादी के नाम से जाना जाता है, भारत में एक प्रतिबंधित (वैकल्पिक) अवकाश है। जिसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता है। विक्रम सम्वत  कैलेंडर नेपाल राष्ट्र का राष्ट्रीय कैलेंडर के रुप में स्वीकृत और प्रयुक्त है, जहाँ पहला महीना बैसाख और अंतिम महीना चैत्र होता है। इसका प्रतीकात्मक उपयोग उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत के हिंदुओं भी करते हैं। नेपाल संवत के साथ-साथ, बिक्रम संवत नेपाल में उपयोग किए जाने वाले दो आधिकारिक कैलेंडर में से एक है। दक्षिण भारत और पूर्व और पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों (जैसे असम, पश्चिम बंगाल और गुजरात) में, भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर का व्यापक रुप से उपयोग किया जाता है। नरकटियागंज स्थित गोदावरी देवी रामचंद्र प्रसाद सरस्वती विद्या मंदिर में वर्ष प्रतिपदा विक्रम सम्वत 2082 नववर्ष के निमित्त नववर्ष रैली निकाली गई। जिसमें अधिसंख्य विद्यार्थी, आचार्य, आचार्या, शिक्षकेत्तर कर्मी शामिल हुए। इस क्रम में आकर्षक झाँकी भी निकाली गई। जिसमें लगभग 1100 विद्यार्धी शामिल हुए। प्रधानाचार्य वाणीकांत झा, प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष वर्मा प्रसाद, सहसचिव आशीष अग्रवाल, उपाध्यक्ष प्रदीप दूबे, समिति सदस्य अनूप रंजन, समिति सदस्या प्रियंका भारती तथा शहर के अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल रहे। उपर्युक्त संचलन विद्यालय से निकलकर वर्मा चौक, आर्य समाज मंदिर, सब्जी मंडी, मुखियाजी चौक, भगवती सिनेमा रोड, शिवगंज रोड, नागेंद्र तिवारी चौक मार्ग से पुनः विद्यालय  पहुंचा। झांकी में स्वामी विवेकानंद, भगिनी निवेदिता, राजा विक्रमादित्य, राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान एवं भारत माता का रुप धारण विद्यार्थियों ने किया।
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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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