हरेक मानव चाहता है। कि जीवन में जीने के लिए स्थायी सुख और शान्ति की प्राप्ति हो और कभी भी कोई रोग दुर्घटना, प्राकृतिक प्रकोप या अशान्ति न हो। परन्तु सुख और शान्ति का आधार तो मानव का निर्विकार मन है क्योकि काम क्रोध लोभ मोह अहंकार आलस्य आदि विकार ही वास्तव में दुख तथा अशान्ति के जनक है।
सहज राजयोग का उदस्य मनुष्य के जीवन में पवित्रता स्थापन करके उसे शाश्वत एवं निरन्तर शान्ति एवं सुख प्राप्त कराना है। आज हम देखते हैं कि संसार में अनेक प्रकार के दुख है। कोई भी व्याक्ति दुख एवं अशान्ति से पूर्णतः मुक्त नहीं है। किसी को शरीर का कष्ट है। तो किसी को चिन्ता ने घेर रखा है।