कृषि अनुसंधान परिसर पटना का स्थापना के रजत जयंती समारोह का शुभारंभ
किसान मेला और प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का भव्य आयोजन
पटना: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में दिनांक 20 फरवरी 2025 को “उन्नत कृषि – विकसित भारत: पूर्वी भारत की तैयारी” थीम के दृष्टिगत स्थापना के बाद रजत जयंती समारोह का शुभारंभ हुआ। उपर्युक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. संजीव चौरसिया विधायक, दीघा विधानसभा ने किसान मेला का उद्घाटन किया। जिसमें किसान मेला-सह-प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का भव्य आयोजन किया गया है। कार्यक्रम में डॉ. संजीव कुमार कुलसचिव बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, डॉ. प्रदीप डे निदेशक अटारी, डॉ. विकास दास निदेशक राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर और प्रदीप कुमार उप निदेशक राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड विशिष्ट अतिथि के रुप में शामिल हुए।
रजत जयंती कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन और आईसीएआर गीत से किया गया। तत्पश्चात आईएआरआई पटना हब के विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया। किसान मेला में बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और असम से 653 किसानों सहित 100 से अधिक वैज्ञानिक, प्रशासनिक एवं तकनीकी कर्मियों, उद्यमियों, राज्य सरकार और निजी कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस अवसर पर संस्थान ने तीन महत्वपूर्ण प्रकाशन “केंद्रीय योजनाओं द्वारा कृषक-सशक्तिकरण”, “संस्थान का न्यूज लेटर ” और “कृषि ड्रोन” का विमोचन किया। झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और असम के 18 प्रगतिशील किसानों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इस क्रम में मुख्य अतिथि डॉ. संजीव चौरेसिया ने संस्थान के 25 वर्ष की सफल कार्यकुशलता पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि किसान भी वैज्ञानिक हो सकते हैं और अपने अनुभवों के आधार पर नवीनतम तकनीकों का सृजन करने में सक्षम होते हैं। उन्होंने जैविक खेती, पोषण प्रबंधन और मृदा स्वास्थ्य के महत्व को रेखांकित करते हुए किसानों से टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुए संस्थान विकसित समेकित कृषि प्रणाली मॉडल, ड्रोन प्रौद्योगिकी और जलवायु अनुकूल योजनाओं जैसे प्रयास (PRAYAS) और धान-परती भूमि प्रबंधन जैसे पहलों की प्रशंसा किया। उन्होंने किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने और संस्थान से जुड़े रहने का परामर्श दिया।
संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने पिछले संस्थान की 25 वर्ष की महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्थान ने लघु और सीमांत किसानों के लिए समेकित कृषि प्रणाली मॉडल, संसाधन संरक्षण तकनीक, 12 जलवायु अनुकूल धान का प्रभेद, 1 चना प्रभेद, 63 उच्च उपज वाली पोषणयुक्त सब्जी का प्रभेद और 6 उच्च उपज वाले फल विकसित किया हैं, जो किसानों में काफी लोकप्रिय है। उन्होंने किसान उत्पादक संगठन आधारित वितरण मॉडल, देसी पशु नस्लों का लक्षण वर्णन एवं पंजीकरण और मत्स्य पालन में उन्नत तकनीकी का उल्लेख किया। जलवायु परिवर्तन के परिदृश्य में उन्होंने जल के बहु आयामी उपयोग मॉडल, एग्रीवोल्टाइक सिस्टम और फ्यूचर फार्मिंग मॉडल आदि के उपयोग पर बल दिया।
डॉ. संजीव कुमार कुलसचिव, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने कहा कि कृषि क्षेत्र में पशुपालन को जोड़कर ही किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है। उन्होंने आयोजित किसान मेला को नई तकनीकों को सीखने का प्रभावी मंच बताया। डॉ. प्रदीप डे निदेशक अटारी कोलकाता ने महिला कृषि उद्यमियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक महिला किसान को शिक्षित करने का अर्थ पूरे परिवार को शिक्षित करना है। उन्होंने आईएआरआई हब के शैक्षणिक कार्यक्रमों को कृषि शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में मील का पत्थर बताया।
डॉ. विकास दास निदेशक राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर ने लीची मूल्य श्रृंखला में उद्यमिता विकास की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए बताया कि बिहार में लीची की खेती के लिए लगभग 6 लाख हेक्टेयर भूमि उपलब्ध है, जिसका समुचित उपयोग कर किसान अपनी आय ज्यादा बढ़ा सकते हैं। प्रदीप कुमार उप निदेशक राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड ने पॉलीहाउस और हाई-टेक नर्सरी की उच्च लागत पर चिंता व्यक्त करते हुए किसानों से एनएचबी की सब्सिडी योजनाओं का लाभ उठाने का अनुरोध किया और कहा कि सरकारी अनुदानों का लाभ उठाकर किसान मशरूम उत्पादन और हाई-टेक नर्सरी इकाइयां स्थापित करके अपनी उत्पादकता और लाभ को और बढ़ा सकते हैं। डॉ. उज्जवल कुमार (प्रमुख, सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार एवं आयोजन सचिव) के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।