हम तो उड़ चले नील गगन के पार।
देह को तज कर, गुणों से सज कर शिव बाबा के द्वार।
हम तो उड़ चले नील गगन के पार।
रुप है शिव का मन में समाहित। ह्दय में उसका प्रेम प्रवाहित।
दृष्टि रुहानी बोल वरदानी,
भर देते भण्डार।
हम तो उड़ चले नील गगन के पार।
विश्व परिवर्तन स्वयं से करते।
गुणो की धारणा अटल हैं भरते।
ज्ञान का प्याला, योग की ज्वाला।
हरते पाँच विकार।
हम तो उड़ चले नील गगन के पार।