कहा जाता है कि चिंता रावण की बेटी है। प्रथम दृष्टि में ही बात पूरी तरह सही प्रतीत होती है क्योकि चिंता बहुत कुरुप होती हैं परन्त ु फिर भी मनुष्य इसे छोड नही पाते। इसी से तंग होते है। और इसी में उलझे भी रहते है। चिंता मनुष्य को रावण (मनोविकारो और दुर्बलताओ) का बंदी बना कर रखती है।
भय पर विजय अनिर्वा है
रावण का एक सर्वशक्तिमान बेटा भी है जिसका नाम है भय। अगर कोई चिंता के चंगुल से निकलने की ठान लेता है। तो फिर उसका यह भाई उसके आगे आ खडा होता है। चिंता और भय ये दोनो ही मिलकर मनुष्य को रावण का गुलाम बनाकर रखते है। और निरंतर उसका शोषण करते है। भय कुरुप है जिसका मुख कभी मनुष्य देखना भी नही चाहता, यह छुपकर वार करता है और इसके वार को बडे बडे योद्धा बुद्धिमान भी पहचानने में चूक जाते है। इसका साकेतिक चित्रण रामायण में रावण के सबसे शक्तिशाली पुत्र मेधनाद के रुप में दिखाया गया है। जो अपनी गर्जना से सभी को भयभीत कर देता है। जीवन में सफलता पाने और रावण की जेल से छूटने के लिए भय पर विजय अनिवार्य है।