जैसे गर्मी के मौसम में गर्मी स्वाभाविक होती है और सर्दी के मौसम में सर्दी भी होती हैं यदि कोई गर्मी के मौसम में कहे कि मुझे गर्मी बहुत लग रहा है। तो हम क्या बोलेगें? यही कहेंगे कि जिस चीज के सीजन है वह चीज तो होगे ना इसी प्रकार वर्तमान कलयुग में समस्याओ का बोलबाला है, समस्याओ की सीजन हैं और जब सीजन ही है तो हम सबको कभी ना कभी समस्याओ का सामना करना ही पडता हैं समस्या पूरे होते है तो दूसरी आ जाती है। जैसे अभी सर्दी का सामना किया इतनी देर में गर्मी आ गई तो ऐसे ही समस्याएं भी आती और जाती रहती है। सवाल यह है। कि क्या हम इन समस्याओ से डर जाएं क्या इसके आगे हम हार मान ले क्या इसके आगे अपने आप को समर्पित कर दे? नही कई बार देखा होगा कि टेबल के ऊपर कोई कागज उड़ रहा होता है। वह आवाज करता है। तो हम उस कागज की दिश को बदल देते है। और दीवार का सहारा मिलने पर वह फडफडाना बंद कर देते है। उसी प्रकार हमारे जीवन की दिशा बदल सकते है।