Fri. Jan 10th, 2025
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी प्रकाशित “कृषि मंजूषा” को मान्यता: हिंदी भाषा में कृषि शोध प्रकाशन के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि

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सबौर/ नई दिल्ली: राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी प्रकाशित पत्रिका “कृषि मंजूषा” को इस वर्ष राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (एन ए ए एस) नई दिल्ली ने 2.92 अंक प्रदान कियह है। राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि किसी गैर-अंग्रेजी शोध पत्रिका को राष्ट्रीय कृषि में विज्ञान अकादमी ने मान्यता और स्थान दिया गया है। यह उपलब्धि हिंदी भाषा में प्रकाशित कृषि शोध पत्रिका की गुणवत्ता, विषयों की व्यापकता और हिंदी भाषा के शोध लेखन में किया गया योगदान को रेखांकित करती है।

क्या कहते है प्रधान सम्पादक…….
पत्रिका के संस्थापक प्रधान सम्पादक एवं बिहार कृषि विश्वविद्याल के निदेशक शोध डॉ अनील कुमार सिंह ने बताया कि हम  बहुसंख्यक हिंदी भाषी कृषि वैज्ञानिकों के लिए बहुत ही हर्ष एवं गौरव की बात है कि कृषि मंजूषा को प्रथम गैर अंग्रेजी शोध पत्रिका का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2025 के लिए आज जारी कुल 67 पृष्ठों की सूची में मात्र 2944 शोध पत्रिकाओं को में “कृषि मंजूषा” आइएसएसएन:2582- 144एक्स (ISSN : 2582-144X) को क्रम संख्या 2093 (के006) पर सूचीबद्ध  किया गया है।
कृषि मंजूषा: हिंदी शोध पत्रिका का ऐतिहासिक सफर……
भारतीय कृषि शोध और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में एक नया अध्याय जोड़ते हुए, “कृषि मंजूषा” ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि प्राप्त किया है। यह प्रतिष्ठित पत्रिका, जिसे सोसायटी फॉर अपलिफ्टमेंट ऑफ रूरल इकोनॉमी, वाराणसी प्रकाशित किया जाता है, इस वर्ष अपनी स्थापना के सातवें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है।
वर्ष 2018 में कृषि मंजूषा का शुभारम्भ हुआ……. “कृषि मंजूषा” ने प्रारम्भ में वर्ष 2018 में की किया। यह पत्रिका ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि विज्ञान, बागवानी, पशुपालन और संबंधित विषय पर आधारित शोध एवं विचारों को हिंदी में प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण मंच बन चुकी है। अपनी भाषा और विषय-वस्तु की सादगी व गुणवत्ता के कारण यह पत्रिका शोधकर्ताओं, कृषि विज्ञानियों और ग्रामीण विकास से जुड़े व्यक्तियों के बीच एक विशेष स्थान बना चुकी है।
हिंदी भाषा में कृषि आधारित शोध के लिए मील का पत्थर : यह मान्यता हिंदी में वैज्ञानिक शोध को न केवल एक नई पहचान देती है, बल्कि यह अन्य शोध पत्रिकाओं और प्रकाशनों को भी प्रेरित करती है कि वे अपनी भाषा और संस्कृति को प्राथमिकता दें। यह सफलता हिंदी को वैश्विक शोध परिदृश्य में स्थापित करने के दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
संपादक मंडल और सहयोगियों को बधाई….
“कृषि मंजूषा” की इस सफलता के पीछे पत्रिका के संपादक मंडल, लेखकों, और पाठकों का समर्पण और योगदान प्रशंसनीय है। उनकी मेहनत और लगन ने इस पत्रिका को आज ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
भविष्य की राह ……..
पत्रिका की सफलता के बाद, “कृषि मंजूषा” का लक्ष्य हिंदी भाषा में और अधिक गुणवत्ता वाले शोध कार्यों को प्रकाशित करना और कृषि विज्ञान के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों और विचारों को व्यापक स्तर पर पहुंचाना है।
बधाई संदेश : “कृषि मंजूषा” की इस उपलब्धि पर समस्त लेखक, पाठक, और सहयोगियों को हार्दिक बधाई। यह सफलता केवल पत्रिका के लिए ही नहीं, बल्कि हिंदी भाषा और भारतीय कृषि शोध के लिए भी गर्व का विषय है। डॉ.  डी आर सिंह कुलपति बिहार कृषि विश्वविद्यालय  डॉ. डी.आर. सिंह, कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, ने “कृषि मंजूषा” की इस उपलब्धि को हिंदी भाषा और भारतीय कृषि शोध के लिए गर्व का विषय बताया। एवं इस सफलता के लिए संपादक मंडल, लेखकों और पाठकों को हार्दिक बधाई। डॉ अनिल कुमार सिंहए, निदेशक शोध एवं प्रधान सम्पादक : कृषि मंजूषा की यह उपलब्धि हिंदी भाषा को वैश्विक शोध परिदृश्य में सशक्त रूप से स्थापित करने का प्रतीक है।
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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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