मीडिया पर नहीं चला सकते मुकदमा, स्टिंग ऑपरेशन केस में हाईकोर्ट ने कहा, “स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चौथा स्तंभ आवश्यक है।”: जस्टिस कुन्हीकृष्णन
बिहार प्रेस मेन्स यूनियन ने केरल हाई कोर्ट के निर्णय की प्रशंसा करते हुए स्वागत योग्य कहा
नई दिल्ली: भारत के केरल हाई कोर्ट ने अपने एक निर्णय में एक स्टिंग ऑपरेशन करने वाले दो टीवी पत्रकारों को बड़ी राहत प्रदान किया है। केरल उच्च न्यायालय ने पत्रकारों के विरुद्ध शुरू किए गये आपराधिक मामला (मुकदमा) खारिज (रद्द) कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चौथा खंभा अर्थात मीडिया का होना आवश्यक बताया है। हम उस पर ऐसे केस नहीं चला सकते हैं। यह मामला सनसनीखेज सौर घोटाले से जुड़ा हुआ है। केरल हाई कोर्ट के जस्टिस पी वी कुन्हिकृष्णन ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारों के कामकाज पर रिपोर्टिंग करने या उसका स्टिंग ऑपरेशन करते समय प्रेस को कभी-कभी कानूनी सीमाओं को धुंधला करना पड़ सकता है। यह उसके काम का हिस्सा है, क्योंकि जनता तक सही सूचनाएं पहुंचाना उनका कर्तव्य है। ईमानदारी से उसे पूरा किया जाना चाहिए। इसमें बाधा नहीं उत्पन्न करना चाहिए, बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस कुन्हिकृष्णन ने अपने फैसले में लिखा, “स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चौथा स्तंभ आवश्यक है।” यह सुनिश्चित करता है कि सत्ता का दुरुपयोग न हो और नागरिकों को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की जानकारी हो और उस प्रक्रिया में शामिल हों। चौथा स्तंभ काम कर रहा है या नहीं और उपर्युक्त सिद्धांतों का पालन कर रहा है या नहीं, यह एक अलग बात है। लेकिन उपर्युक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उनकी ओर से कुछ ऐसी गतिविधियां हो सकती हैं, जिनकी कानून के अनुसार सामान्यतः अनुमति नहीं है। चौथे स्तंभ द्वारा उपयोग की जाने वाली ऐसी ही एक विधि है ‘स्टिंग ऑपरेशन’।”
आईएफडबल्यूजे से संबद्ध बिहार प्रेस मेंस यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनमोल कुमार, प्रधान महासचिव रविशंकर शर्मा, महासचिव राजकिशोर सिंह, सचिव अवधेश कुमार शर्मा, संजय तिवारी, राजन मिश्रा ने केरल हाईकोर्ट के निर्णय की प्रशंसा करते हुए स्वागत योग्य बताया है। पत्रकार संगठन के पदाधिकारियों ने कहा है कि मीडिया पर नहीं चला सकते मुकदमा एक ऐतिहासिक निर्णय है, जो प्रजातंत्र की रक्षा के लिए कार्यरत पत्रकारिता की विजय है।