हे युवा! क्या तुमने देखा है। ये सारा संसार ये मानव जाति, ये प्रकृति आज सब है। लाचार कभी किया है। तुमने इस पर कुछ विचार ? कि क्योकि परिवर्तन के अभी कम है। आसार? हम थे उजले हम थे पावन जब रहता था सर्वदा सावन हर ह्दय था अति मनभावन, फिर क्यो छाया है। ये रावण अंतर्मन में है तुमको सब याद ईश्वर से समय समय पर करते हो फरियाद पर क्या में बजता है ऐसा अनहद नाद जो मिटा दे अंतर्मन में पडी हुए हर खाद करो एंेसा संकल्प अपने अंतः जिगर नष्ट हो जाए अगर मगर की हर एक डगर है। करो ऐसे सफल अपना पल प्रतिपल हर पहर कि फिर हो जाए स्वर्णिम मधुबन अपना हर एक शहर।