Wed. Feb 5th, 2025

अशोभित व अमर्यादित वार्ता या वाद विवाद से आज मनुष्यो का जीवन नर्क बना हुआ है जबकि पशु पक्षी सामान्य जीवन जी रहे हैं क्योकि उनके पास मनुष्यो जैसे शब्द व वाचा शक्ति नही है। मानव एक दूसरे के अप्रिय शब्दो को भूलते नही और सोच सोच कर स्वंय को दुख देते रहते है। परन्तु पशुओ की आवाज में भाव व इरादा होता है शब्द नही है। वे एक दूसरे पर चीख सकते है या परस्पर अच्छे बुरे आवाज निकाल सकते है। और फिर इसे भूल जाते है। जहां शब्द या आवाज न हो तो वहां मौन होता हैं। जो शान्ति प्रदान करता है। मनुष्यो के द्वारा पशुओ पर हिंसा व अत्याचार होते रहते है। परन्तु फिर भी निरीह पशु चुपचाप मौन में रहते है सबकुछ सहन कर लेते है।

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