जीवन में सबसे दुः खदायी पल अपनों से बिछडने का होता है। कोई भी नही चाहता है। कि ये वक्त आये। अपनों के बीच रहते हुए अनेकानेक सपनों को पूरा करने का पुरुषार्थ करता है। सत्य को जानते हुए भी असत्य के साथ जीवन जीता है। यही सबसे बड़ा आश्चर्य है। यदि बाल्यकाल सें ही वैराग्य को साथ लेकर जीवन जीया जाये तो वियोग से नहीं गुजरना पडेगा बल्कि बिताये हुए सुखदायु पलो को याद कर खुशी से परिवर्तन को स्वीकार करेगा।