Sun. Sep 8th, 2024

कहा जाता है। कि मानव अपने सोच विचार का उत्पाद है। अर्थात हम जैसे सोच विचार करते है। वैसे ही बन जाते हैं इसका अर्थ यह हुआ कि आज हम जो भी कुछ है। अपने सोच विचार के देन हैं अतः अपने विचारो को मजबूत श्रेष्ठ बनाना हमारे अपने जिम्मेदारी है।

वर्तमान समय हम देखते है। कि मन की समस्याएं बहुत बढते जा रहे है। मानसिक रुप से लोग अव्यवस्थित है। जिसके कारण कई शरीरिक और मानसिक रोग भी लग रहे है। राजयोग मन को व्यवस्थित करने में हमारी बहुत मदद करता है। राजयोग के अभ्यास से हम अतंर्मुख का अर्थ है अपने भीतर के ओर मुडना अपने अंदर हो रही एक्टिविटी की जांच करना मन बुद्धि संस्कारो में क्या चल रहा है। उनके ऊपर नजर रखना।

 

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