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जीवन में स्वस्थ्य रहने के लिए प्रसन्नता सबसे बड़ी दवा: बीके पूनम

बेतिया: पश्चिम चम्पारण जिला मुख्यालय बेतिया स्थित प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने तनाव भरी दुनिया को तनाव मुक्ति के लिए अलविदा तनाव’ कार्यक्रम प्रारम्भ किया। उपर्युक्त कार्यक्रम 29 दिसम्बर 2023 तक संचालित रहेगा। ‘पुरानी बातों में पड़े रहने से प्रसन्नता गायब हो जाती है। बातों घटनाओं सीन को मन बुद्धि में पकड़कर रखने से अल्सर, एसिडिटी, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां घर कर जाती हैं। जिससे शरीर को कष्ट और मानसिक तनाव बढ़ता है। यदि उन सबसे बचना है तो संकल्प दृढ़ करें- ‘छोड़ो छोड़ो, कोई बात नहीं, आगे बढ़ो’ खुद को समझाइये जीवन का लक्ष्य, प्रेम, प्रसन्नता-आनंद में है। पुरानी यादों को संजोकर (पकड़ कर) रखेंगे तो ईश्वर जो अवसर प्रदान कर रहा है, उसका आनंद नहीं ले पाएंगे। उपर्युक्त विचार इंदौर से अलविदा तनाव’ कार्यक्रम में प्रख्यात तनाव मुक्ति विशेषज्ञा ब्रम्हा कुमारी पूनम (सीएस) ने व्यक्त किया। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय प्रभु उपवन भवन संत घाट बेतिया में आयोजित ‘अलविदा तनाव नि:शुल्क शिविर’ के दूसरे दिन उन्होंने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रसन्न रहने के लिए मूलमंत्र यह कि याद रहे सुख-दुख मान-अपमान स्वास्थ्य और व्याधिग्रस्त शरीर छोड़ना नहीं, बल्कि उसके साथ प्रसन्न रहने का रास्ता निकालना है। अपनी प्रसन्नता का रिमोट दूसरे की हाथ में नहीं सौंपे। क्योंकि आपकी प्रसन्नता विश्व की सबसे बड़ी संपदा (संपत्ति) है। यह ऐसी एसेट है, जिसे आप रुपयों से खरीद नहीं सकते। जिला पदाधिकारी पश्चिम चम्पारण दिनेश कुमार राय को सम्मानित किया गया।


किसी अच्छे चिकित्सक के पास जाइए, वे प्रसन्नता को दवा भी कहते हैं, क्योंकि मन की प्रसन्नता दवा का काम करती है। मन प्रसन्न तो समझो तन प्रसन्न। मन की प्रसन्नता से शरीर में इनडाफिन हार्मोन निकलता है, जिससे नींद अच्छी आती है। मन शांत तो उमंग- उत्साह बना रहता है। बहन बीके पूनम ने शनिवार को ‘प्रसन्नता उत्सव’ के रुप में मनाते हुए सदा प्रसन्न रहने को स्पीचुअल इंजेक्शन (मंत्र) दिया। प्रसन्नता के सागर परमात्मा की संतान, प्रसन्नता के खजाने का मालिक, जब तक जीना है प्रसन्न रहना ही है। इसको स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि नाम, पद, रुपए, रिश्तो, नाते से क्षणिक प्रसन्नता मिलती है, सच्ची, अविनाशी, आंतरिक प्रसन्नता तो सिर्फ अविनाशी परमात्मा से जुड़ने से मिलती है। परमात्मा प्रसन्नता, आनन्द का सागर है, दाता है। बच्चा पिता की संपत्ति का वारिस होता है परमात्मा के बच्चे होने के नाते हम भी प्रसन्नता और आनन्द के खजाने के वारिस हैं। उन्होंने अपने 25 वर्ष के आध्यात्मिक जीवन का अनुभव साझा करते हुए बताया कि इस मंत्र को 108 बार अनुभव के साथ 21 दिन लिख ले तो बड़े-बड़े डिप्रेशन के केस ठीक हो जाते हैं। स्वयं को स्वयं ही समझना है कि परिस्थितियों, समस्याओं से अधिक शक्तिशाली स्वयं हूं क्योंकि सर्वशक्तिमान परमात्मा की संतान हूं, समय परिवर्तनशील है। समस्याएं आई है तो जायेंगी। उन्होंने सबको पक्का प्रॉमिस भी कराया कि ‘सदा प्रसन्न रहेंगे और प्रसन्नता बाटेंगे’ क्योंकि कोई चीज बांटने से बढ़ती है। हम प्रसन्नता बांटेंगे तो प्रसन्नता बढ़ेगी और जीवन से तनाव कोसो दूर भागेगा। उन्होंने कार्यक्रम के प्रारंभ में मनोबल बढ़ाने वाले एक गीत- तुझको चलना होगा पर सबसे नृत्य करवाया, तालियां बजवाई फिर योग कमेंट्री व वीडियो दृश्य के माध्यम से परमात्मा पिता के प्रसन्नता के झरना को स्वयं में प्रवाहित करने व फिर स्वयं से चारों ओर फैलने का विजन देकर सबको अतिसुंदर व गहन अनुभूति भी कराया अंत में छोटे-छोटे बच्चों का गुब्बारे हाथ में देकर प्रसन्नता नृत्य (डांस) करवाया। जिसमें उपस्थित सभी लोगों ने साथ दिया। गीतों पर डांस (नृत्य) करते हुए चारों ओर प्रसन्नता की लहर फैल गई। सबसे आखिर में सोचना क्या, जो भी होगा देखा जाएगा, गीत पर सदा खुश रहने व प्रसन्नता बांटने की दृढ़ता सुनिश्चित की गई।कल स्वयं की पहचान बताई जाएगी, कार्यक्रम का लाभ हजारों की संख्या में बेतियावासी शामिल हो रहे हैं।

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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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