आज के वातावरण में मूल्यनिष्ठ व्यापार करने का लक्ष्य बनाकर जब हम कदम आगे बढ़ाते है तो उसमें कई ऐसे पल हमारे सामने आते हैं जो हमें मूल्यो की नीव को हिला देता है। कई लोगो के यह भावना रहती है कि मुझे ही हर बात में शिखर पर होना चाहिए और कोई नही मैं ही मैं। मेरा ही हर बात में प्रभुत्व रहे, यह जिद उनके सर पर ऐसे सवार हो जाती हैै। जो वे उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। बेशक हमे अपने व्यवसाय में सफल होना ही चाहिए और उसके लिए हम अथवा पुरुषार्थ करे परन्तु शिखर पर रहने की इच्छा के वश किसी भी रीति सें छल कपट धोखाधडी करना, गलत रास्ते और साधन अपनाना यह ठीक नही है। व्यापार उधोग करने के सिद्धांत और मूल्य हमने अवश्य सुनिच्श्रित किए हुए होते ही है। हर कंपनी संस्था भी अपने मूल्य बताती है। तो हर हाल में हमारे मूल्य बने रहे यह बहुत जरुरी है। किसी भी कारण से हम सर्वोच्च स्थिति में यदि नही रह पाते है। या हमे असफलता हाथ लगती हैं, तो वह भी स्वीकार कर हिम्मत से आगे बढ़ना होता है।