अमेठी : उत्तर प्रदेश के अमेठी केंद्रीय कांग्रेस कार्यालय गौरीगंज में लौह महिला भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 39वीं पुण्यतिथि व लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती (एकता दिवस) के रुप में मनाई गई। गौरीगंज में उपस्थित कांग्रेसजनों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हे भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया। कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंघल ने बताया कि आजादी से लेकर आमजनमानस गरीब, दलित, शोषित, वंचित के साथ देश के लिए प्राणों की आहूति देने वाले परिवार का रिश्ता अमेठी से कई पीढ़ियों का है। दूर दृष्टि, कड़ी मेहनत, पक्का इरादा के बताएं मार्ग पर चलने की नसीहत देने वाली हमारी नेता भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एक विश्व स्तरीय जीवट की धनी व्यक्तित्व वाली महिला रही। उनके भीतर उत्साह, ऊर्जा, राजनीतिक दूरदर्शिता कूट कर भरी थी। इंदिरा का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ। उनके पिता जवाहर लाल नेहरू आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वालों में शामिल रहे, स्वतंत्रता संग्राम में नेहरु 10 वर्ष जेल में रहे। इन्दिरा का जब जन्म हुआ, उस समय1919 में उनका परिवार महात्मा गांधी (बापू) के सानिध्य में आया और इंदिरा ने नेहरू से राजनीति का ककहरा सीखा। मात्र 11 साल की उम्र में उन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए बच्चों की वानर सेना बनाई। 1938 में वह औपचारिक तौर पर इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हुईं और 1947 से 1964 तक अपने प्रधानमंत्री पिता नेहरू के साथ उन्होंने काम करना शुरू कर दिया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को राजनीति विरासत में मिली और ऐसे में सियासी उतार-चढ़ाव को वह बखूबी समझती रही। यही कारण रहा कि उनके सामने न सिर्फ देश, बल्कि विदेश के नेता भी उन्नीस नजर आने लगे। अत: पिता के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी में इंदिरा गांधी का ग्राफ अचानक काफी ऊपर पहुंचा और लोग उनमें पार्टी एवं देश का नेता देखने लगे। वह सबसे पहले लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं। शास्त्री जी के निधन के बाद 1966 में वह देश के सबसे शक्तिशाली पद ‘प्रधानमंत्री’ पर आसीन हुईं। एक समय ‘गूंगी गुडिया’ कही जाने वाली इंदिरा गांधी तत्कालीन राजघरानों के प्रिवी पर्स (राज-भत्ता, निजी कोष) समाप्त कराने को लेकर उठे तमाम विवाद के बावजूद तत्संबंधी प्रस्ताव को पारित कराने में सफलता हासिल करने, बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने जैसा साहसिक फैसला लेने और पृथक बांग्लादेश के गठन और उसके साथ मैत्री और सहयोग संधि करने में सफल होने के बाद बहुत तेजी से भारतीय राजनीति के आकाश पर छा गईं ।
अमेठी के खेरौना गांव में इंदिरा जी की अगुवाई मे डेढ़ माह तक चले श्रमदान में देश के कोने कोने से लोग श्रमदान मे शामिल हुए।
वर्ष 1975 में आपातकाल लागू करने का फैसला करने से पहले भारतीय राजनीति एक ध्रुवीय सी हो गई, जिसमें चारों तरफ इंदिरा ही इंदिरा नजर आती थीं। इंदिरा की ऐतिहासिक कामयाबियों के चलते उस समय देश में ‘इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा’ का नारा जोर-शोर से गूंजने लगा। उनकी शख्सियत इतनी बड़ी हो गई थी कि उनके सामने कोई दूसरा नजर नहीं आता था। अपने व्यक्तित्व को व्यापक बनाने के लिए उन्होंने खुद भी प्रयास किया। इंदिरा के बारे में सबसे सकारात्मक बात यह है कि वह राजनीति की नब्ज को समझती और अपने साथियों से उनका बेहतरीन तालमेल बिठाया। कार्यक्रम में पूर्व जिला अध्यक्ष योगेंद्र मिश्र,नरसिंह बहादुर सिंह,परमानंद मिश्र,जिला महामंत्री/मीडिया प्रभारी अनिल सिंह,बैजनाथ तिवारी, ओ पी दूबे,शत्रुहन सिंह, शकील इदरीशी,राम प्रसाद गुप्ता,सुनील सिंह,ममता पाण्डेय,मतीन जी,धर्म राज बहेलिया,बरन राम कश्यप, रामप्रताप पाण्डेय,सबीना, रिफाकत रसूल,अरुण मिश्र,राजीवलोचन,मो.ताहिर, अशोक शुक्ला,जगन्नाथ यादव, राजू ओझा,अखिलेश शुक्ला उपस्थित रहे।