भोले शिव का दरबार हैं करते सबको प्यार है।
सुख शांति आनंद ज्ञान का लूट रहे भंडार है।।
सभी आत्माएं प्यासी हैं, तेरे सच्चे प्यार की ।
खाक छानते फिरते है सब इस झूठे संसार की।।
अब शिव ने लिया अवतार हैं, ब्रहा्रातन आधार है।
ब्रहा्रा मुख से फिर से सुनाते सच्चा गीता सार है।।
मनमनाभव का मंत्र फूंकते, शत्रु देहअभितान है।
झूठी माया सच्चे शिव भगवान है।।
त्न सुंदरता भ्रमजाल है तन में आत्मा सार है।
क्र लो शिव साजन सें प्रीति, हो जिससे उद्धार है।।
भोले शिव का दरबार हैं करते सबको प्यार है।
सुख शांति आनंद ज्ञान का लूट रहे भंडार है।।