दान करना एक पुण्य का काम है। जो भारत में बचपन से ही सिखाया जाते है। धन, विद्या, अन्न दान वस्त्र दान स्वास्थ्य आदि का दान करने से अगले जन्म में धनवान बुद्धिमान निरोगी बन उस पुण्य का फल पा लेते है। जो पुण्य का काम करते हैं वें इस जन्म में कुकर्म करने से और अगले जन्म में यातनाओं सें बच जाते है। यह सही है। लेकिन आधा सच है। और आधी गलत फमली है। दान करने से पुण्य तो जमा होगा पर वह पुण्य किये हुए पाप को भस्म नही कर सकते। मानव नें सोचा मात्र जीना हैं
तो पाप तक करना ही पडेगा उससे बच नही सकते दान आदि करके उस पाप को मिटा देगे। लेकिन यह असंभव है। सोने की मात्रा बढ़ानें से उसके अंदर मिश्रित खोट खत्म नही होगा। पुण्य की बढ़ती मात्रा से पाप भस्म नही होगा पाप के फल और पुण्य के फल अलग मिलेगा।