पुरुष साहस से सम्मान पाता है। और नारी पवित्रता सें पुरुष का बलिष्ठ शरीर और नारी का सौन्दर्य आकषर्ण पैदा करते परन्तु यदि उनमें साहस व पवित्रता न हो तो वे सम्मान के पात्र नही रह जाते। साहस व पवित्रता हर किसी को जन्मजात बीजरुप में मिलते हैं
सहनशीलता :- सहनशीलता चन्दन के तरह होते जो चन्दन घिस जाता है वह भगवान के चरणो में चढ़ता है। और जो नही घिसता है। वह मुर्दा जलाने के काम में आता हैं। सहनशीलता बनने के लिए सहरीरीपन का अभ्यास चाहिए। जों अशरीरी बनते हैं।