Thu. Dec 26th, 2024

धन शरीर के निर्वाह है। अर्थ एक महत्वपूर्ण साधन है। इसलिए आज के दुनिया में मानव दिन रात भाग भाग कर  कमाता है। और उस धन के द्वारा स्वयं तथा परिवार कें लिए खुशी और सुख शान्त चाहना रखता है। लेकिन धन कमाने के इस भागदौड़ में अनेक आत्माओं से जानें अनजाने ईष्र्या घृणा और बेईमानी का हिसाब बना लेता है। इसलिए सम्मान प्यार और विश्वास खो देता है। धन कमाना गलत नही है।

लेकिन इसके साथ साथ सच्चे स्नेह के पूँजी इकटठे करनी भी जरुरी है। बिना स्नेह के आज वह नफरत शक तथा अकेलेपन के अग्नि में जल रहा है। हम देखते है। कि जितनी भी मशीनें काम में लिया जाता है। उन्हे सहज बनाने के लिए स्नेहक आदि इस्तेमाल किए जाते है।

Spread the love

Leave a Reply