साइप्रस के मुद्दे पर एस जयशंकर ने बुधवार को तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू के साथ बैठक की। उन्होंने साइप्रस के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। तुर्की के विदेश मंत्री से मुलाकात कर एस जयशंकर ने एक ट्वीट कर कहा कि यूक्रेन संघर्ष, खाद्य सुरक्षा, जी-20 प्रक्रियाओं, वैश्विक व्यवस्था, गुटनिरपेक्ष आंदोलन और साइप्रस को कवर करने वाली व्यापक बातचीत। साइप्रस में लंबे समय से चल रही समस्या 1974 में शुरू हुई जब तुर्की ने द्वीप पर एक सैन्य तख्तापलट के जवाब में देश के उत्तरी हिस्से पर आक्रमण किया, जिसे ग्रीक सरकार द्वारा समर्थित किया गया था। भारत संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार इस मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करता रहा है। बयान में कहा कि भारत के रुख के करीब है कि दोनों देशों के बीच 1972 के शिमला समझौते के कारण कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें तीसरे पक्ष की भागीदारी के लिए कोई जगह नहीं है। हालांकि, तुर्की के राष्ट्रपति का बयान 2020 से अलग है। उस दौरान तुर्की के राष्ट्रपति ने कश्मीर की स्थिति को एक ज्वलंत मुद्दा कहा था और कश्मीर के लिए विशेष दर्जे को समाप्त करने की आलोचना की थी। 2019 में एर्दोगन ने कहा था कि भारतीय केंद्र शासित प्रदेश में संकल्पों को अपनाने के बावजूद कश्मीर अभी भी घिरा हुआ है और आठ मिलियन लोग कश्मीर में फंस गए हैं।